हज़ारों काम मोहब्बत में हैं मज़े के 'दाग़' जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं
-DAGH DEHLVI
क्या सुनाते हो कि है हिज्र में जीना मुश्किल तुम से बरहम पे मरने से तो आसाँ होगा
-DAGH DEHLVI
वो कहते हैं क्या ज़ोर उठाओगे तुम ऐ 'दाग़' तुम से तो मिरा नाज़ उठाया नहीं जाता
-DAGH DEHLVI
सर मिरा काट के पछ्ताइएगा झूटी फिर किस की क़सम खाइएगा
-DAGH DEHLVI
मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है मिरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है
-DAGH DEHLVI
लिपट जाते हैं वो बिजली के डर से इलाही ये घटा दो दिन तो बरसे
-DAGH DEHLVI
आप का ए'तिबार कौन करे रोज़ का इंतिज़ार कौन करे
-DAGH DEHLVI
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
-DAGH DEHLVI
साक़िया तिश्नगी की ताब नहीं ज़हर दे दे अगर शराब नहीं
-DAGH DEHLVI
ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया
-DAGH DEHLVI