ए.आई. के जरिए हम अपनी सोच और प्राथमिकताओं को खो सकते हैं, क्योंकि वह लगातार हमारी आदतें ट्रैक करता है।
ए.आई. के माध्यम से मानवों का व्यवहार और विचार पढ़कर उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है, जो की खतरा का विषय बना हुआ है।
ए.आई. आधारित बोट्स सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाकर समाज में फुट डाल सकते हैं और समाज को बुरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं।
चुकी
ए.आई. खुद ही रचनात्मक कार्य करने लगी है और
ए.आई. द्वारा रचनात्मक काम किए जाने से कलाकारों और लेखक की नौकरियां खतरे में पड़ रही हैं।
ए.आई. द्वारा डेटा एग्रीगेशन से हर किसी की निजी आदतों और preferences का पता चल सकता है, जो बाद में उसी को जज करने के उपयोग में लिया जा सकता है ।
ए.आई. इस हद्द तक खतरनाक है की इसका निगरानी सिस्टम नागरिकों की स्वतंत्रता को काफी हद्द तक सिमित कर सकता है।
ए.आई. द्वारा खड़ा किया गया आर्टिफिशियल रियलिटी से भ्रमित कर सकता है और सच्चाई से दूर कर सकता है, जिससे मानव भयंकर कन्फ्यूजन में पड सकते हैं ।
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रिसर्च के अनुसार ए.आई. में भावनाओं की कमी होती है, ये अपना काम एक रोबोट की तरह ही कर सकता है, जिससे यह मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है।
ए.आई. को गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर यह अपराधियों के लिए स्मार्ट हथियार बन सकता है, और जनहानि करा सकता है जो बहुत भयावह साबित होगी ।
बढ़ते और उभरते टेक्नोलॉजी के फील्ड में इसकी मांग बहुत बढ़ रही है लेकिन ये उतना ही खतरनाक और पावरफुल बनता जा रहा है, आगे देखिये क्या होता है
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