Gorakhpur की भूमि अनेक ऐतिहासिक एवं मध्यकालीन धरोहरों, स्मारकों / मंदिरों के साथ संपन्न है और आज भी आकर्षण का केंद्र है और यही वजह है की दूर-दूर से लोग इसे एक्स्प्लोर करने आते रहते हैं जिन्हें गोरखपुर कभी भी निराश नहीं करता उनके ज़ेहन में अपनी यादें उकेर कर अमर हो ही जाता है.
तो अगर आप Gorakhpur के रहने वाले हैं या बाहर कहीं और से हैं और Gorakhpur घूमना चाहते हैं तो ये आर्टिकल है खास आपके लिए. हम लेके आये हैं टॉप 10 ऐसे शानदार जगहों की सूचि जिन्हे एक्स्प्लोर कर के आपको काफी ख़ुशी होगी, साथ ही बात करेंगे इसके खास चीजों के बारे में, पढ़िए आर्टिकल में आगे..
1. गोरखनाथ मंदिर
जब भी बात आती है Gorakhpur की, तो जो पहला जिक्र आता है वो होता है गोरखनाथ मंदीर का. बता दें कि गोरखपुर का नाम ही प्रसिद्ध तपस्वी गोरक्षनाथ के नाम पर पड़ा है. गोरक्षनाथ जी, नाथ संप्रदाय के एक प्रमुख संत थे. जिन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। Gorakhpur शहर और ज़िले का नाम संस्कृत शब्द ‘गोरक्षपुरम’ से बना है, जिसका मतलब है गोरक्षनाथ का निवास.
बात करें इसको एक्स्प्लोर करने की तो यहाँ पे खिचड़ी के मेले पे बहुत भीड़ होता है, हजारों श्रद्धालु महीने भर गुरु गोरक्षनाथ बाबा को खिचड़ी चढाते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने की अर्जी लगाते हैं बाबा उनकी ये अभिलाषा पूर्ण भी करते हैं. Gorakhpur आयें तो इस जगह जरूर जाएँ.
गोरक्षनाथ जी के बारे में और पढ़ें : विकिपीडिया

यहाँ कैसे पहुचें?
ये मंदीर गोरखपुर स्टेशन से 4 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है आप यहाँ ऑटो से शेयरिंग पे या कैब बुक कर के आराम से जा सकते हैं.
2. विष्णु मंदिर गोरखपूर
गोरखपुर में बिराजमान इस ऐतिहासिक मंदीर में भगवान विष्णुं की आठवीं सदी की प्रतिमा लगी हुई है यहाँ पे श्रद्धालुओं की भीड़ हमेशा लगी रहती है.
बात करें अगर यहाँ जाने की तो ये Gorakhpur रेलवे स्टेशन से मात्र 2 किलोमीटर की दुरी पर असुरन चौक पर बनी हुई है. भगवान बिष्णु के भक्त हैं तो यहाँ जरूर जाएँ.
बताया जाता है कि मंदिर में स्थापित काले पत्थर की भगवान विष्णु की चतुभरुज प्रतिमा कोई सामान्य प्रतिमा नहीं है। इसका कालखंड पाल राजवंश (आठवीं सदी) का है। यह ऐतिहासिक प्रतिमा पहली बार गोरख नाम के स्थानीय मिस्त्री को 1914 में मिली थी और वो प्रतिमा को शिलापट्ट समझकर उसपर अपने खुरपे की धार तेज करता था। हालाँकि बाद में इसे ऐतिहासिक प्रतिमा का दर्जा मिला

यहाँ कैसे पहुचें?
हालाँकि यहाँ पर पहुचने के लिए बहुत सारे साधन उपलब्ध हैं आप ऑटो या कैब बुक कर के मेडिकल कालेज वाले रोड पर असुरन चौराहा पहुच सकते हैं और वहीं आपको मंदीर के दर्शन हो जायेंगे.
3. गीता वटिका
गीता वाटिका श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार संपादक ‘कल्याण’ गीताप्रेस, गोरखपुर के एकांत निवास के लिए खरीदी गई थी। तब से अनेक संत महात्मा, साधक, विद्वान और साहित्यकार उनके साथ रहे और यहीं से ‘कल्याण’ का संपादन कार्य होता रहा। वर्ष 1936 में यहां एक वर्ष तक अखंड कीर्तन हुआ था, जिसमें देश भर से संत महात्मा आए थे। तब से इस स्थान की शोभा अद्वितीय और दिव्य हो गई है।

यहाँ पर राधाष्टमी महोत्सव काफी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें भाग लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु व भक्तजन आते हैं। यहां दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए एक व्यक्तिगत गेस्ट हाउस भी है। तो अगर आप श्री राधा रानी की मौजूदगी महसूस करना चाहते हैं तो यहाँ राधाष्टमी के दिन जरूर पधारें
इसके बारे में अधिकारिक वेबसाइट पे और पढ़ें : गीता वाटिका एक तीर्थ
यहाँ कैसे पहुचें?
ये वाटिका असुरन चौराहे के पास ही मौजूद है, आप यहाँ ऑटो या कैब बुक कर के जा सकते है.
ये भी देखें: जोड़ों के दर्द का इलाज: 5 Powerful Home Remedies जो तुरंत आराम दें
4. चौरीचौरा शहीद स्मारक
चौरी चौरा, उत्तर प्रदेश में Gorakhpur के पास का एक कस्बा हुआ करता था वर्तमान में तहसील बन गया है जहाँ 4 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे।

बताया जाता है कि आज से ठीक 100 साल पहले ब्रिटिश हुकूमत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले बलिदानियों की याद में जो स्मारक स्थल बनाया गया था,आज वो पर्यटकों और देशप्रेमियों के लिए तीर्थस्थल का रूप ले चूका है। इंदिरा गाँधी बतौर प्रधानमंत्री इसकी नीव रखी थी और प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव ने इसका शिलान्यास किया था.
तब ये 32 लाख में बनी थी परन्तु अब योगी सरकार ने इस स्थल के जीर्णोद्धार के लिए तकरीबन 2 करोड़ खर्च किये जिससे अब ये परफेक्ट पर्यटन स्थल बन के तैयार है.
यहाँ कैसे पहुचें?
ये जगह Gorakhpur और देवरीया के बिच स्टेट हाईवे पे उपस्थित है जो Gorakhpur से 16 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है. आप यहाँ जाके हमारे देश के बलिदानी युवाओं को जरूर याद कर सकते हैं
5. आरोग्य मंदिर
आपको ये जानकर थोडा आश्चर्य हो सकता है की गोरखपुर में ऐसा भी मन्दीर मौजूद है जहाँ पे लोगो का इलाज भी होता है और वो भी प्राकृतिक चीजों से जैसे कि धुप, मिटटी, हवा, पानी से.

आपको बता दें की यहाँ पे दूर दूर से लोग आते रहते हैं अपना इलाज करवाने और ठीक भी होते हैं. इसके पीछे का इतिहास ये है की जो इसे संस्थापक हैं विट्ठल दास मोदी वे युवा अवस्था में गंभीर रूप से बीमार हो गये थे और उन्होंने लगभग 3 साल अंग्रेजी दवाओं से अपना इलाज करवाया लेकिन कुछ फर्क नही पड़ा और अंततः उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाया और वो ठीक हुए,
तभी उन्होंने संकल्प किया की वे प्रकृति के इस जादू को और भी लोगो के पास अवश्य ले आयेंगे उसी का देन है की इसका निर्माण करवाए और आज यहाँ सभी लोग इसका लाभ उठ रहे हैं.
आप इसकी अधिकारिक साईट चेक कर सकते हैं: आरोग्य मंदिर
यहाँ कैसे पहुचें?
यह मंदीर Gorakhpur रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर दूरी पर है, और ये प्राकृतिक परिवेश में, पूरी तरह प्रदूषण मुक्त वातावरण में, 4 एकड़ की विशाल भूमि पर स्थित है। यहाँ मरीजों को सूर्य की रोशनी वाली ऑक्सीजन और पूर्ण शांति मिलती है। मगहर में संत कबीर दास की समाधि 25 किलोमीटर की दूरी पर है और कुशीनगर में भगवान बुद्ध का निर्वाण स्थल आरोग्य मंदिर से केवल 51 किलोमीटर दूर है।
6. मियां साहब इमामबाड़ा
बताया जाता है कि मियां साहब इमामबाड़ा इस्टेट के संस्थापक हजरत सैयद रौशन अली शाह ने 1717 ई. में इमामबाड़ा का निर्माण कराया था।

इस इमामबाड़े में आदम कद के सोने और चांदी की ताजिया मौजूद हैं जो देश के किसी अन्य इमामबाड़े में नही है. साल में मोहर्रम के दौरान सिर्फ 10 दिनों के लिए इसकी जियारत कराई जाती है, बाकी दिनों में यह बंद रहती है। सिर्फ कुछ चुनिंदा लोग ही वहां पहुंच सकते हैं।
यहाँ कैसे पहुचें?
ये इमामबाडा Gorakhpur शहर के शहर के मियां बाजार क्षेत्र में स्थापित है आप मोहर्र्र्म के दिनों में यहाँ जा के इसकी खूबसूरती को देख सकते हैं.
7. रामगढ़ ताल (नवका विहार)
गोरखपुर में स्थित रामगढ़ ताल लगभग 1800 एकड़ में फैला हुआ है और नवका विहार के नाम से मशहूर है. बताया जाता है कि यह प्राचीन समय छठी शताब्दी में नागवंशी कोलिय गणराज्य की राजधानी थी जिस वंश की गौतम बुद्ध की माता एवम् उनकी पत्नी थी इसलिए प्राचीन काल में गोरखपुर का प्राचीन नाम रामग्राम भी था।

उन दिनों राप्ती नदी आज के रामगढ़ ताल से ही होकर गुजरती थी। बाद में राप्ती नदी की दिशा बदली तो उसके अवशेष से रामगढ़ ताल अस्तित्व में आ गया। रामग्राम से ही ताल को रामगढ़ नाम मिला। आज यहाँ पे बहुत सारे लोग दूर दूर से आते हैं इस ताल में मरीन ड्राइव का आनंद उठाते हैं
आपको बता दें की यहाँ पे कुछ भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है और लगातार सेलेब्रेटी और कंटेंट क्रिएटर बराबर आते रहते हैं.
यहाँ कैसे पहुचें?
ये ताल Gorakhpur रेलवे स्टेशन से मात्र 7 किलोमीटर की दुरी पे स्थित है, आप यहाँ ऑटो या कैब बूक कर के आराम से जा सकते हैं और यहाँ का लुत्फ़ उठा सकते हैं.
8. नक्षत्रशाला (तारामंडल)
अगर आप भी धरती पे रह के ग्रह और नक्षत्रों की दुनिया देखना चाहते हैं तो गोरखपुर की इस नक्षत्रशाला जानें से न चुकें
बता दें की पुरे प्रदेश में सिर्फ तिन नक्षत्रशालाएं हैं जिनमें से एक गोरखपुर का ये नक्षत्रशाला है इसे देखने के लिए दूर दूर के स्कूलों से ट्रिप आया करता है इसे लोग तारामंडल के नाम से भी जानते हैं।
इसकी खास बात ये है की यहां एक साथ तीन सौ लोग बैठकर नक्षत्रों की दुनिया देख सकते हैं। तो यहाँ जाना न भूलें.

यहाँ कैसे पहुचें?
इसकी दुरी गोरखपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 4.2 किलोमीटर Gorakhpur यूनिवर्सिटी रोड पे है, आप यहाँ आराम से पहुच सकते हैं और अद्भुत अनुभव ले सकते हैं.
9. पुरातात्विक बौद्ध संग्रहालय
राजकीय बौद्ध संग्रहालय Gorakhpur में उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र से संग्रहित पुरावशेष मौजूद हैं. बताया जाता है की यहाँ तीर्थंकर महावीर, भगवान बुद्ध, गुरु गोरखनाथ और कबीर के उपदेशों में उपरोक्त दर्शन की विरासत समाहित है, यहाँ पर महत्वपूर्ण खोज हुईं हैं ।

इसका मुख्य रूप से उद्देश्य सांस्कृतिक संपत्ति का संग्रह, संरक्षण, दस्तावेजीकरण, प्रदर्शन तथा गौरवशाली अतीत के बारे में जागरूकता पैदा करना है, आप यहाँ जरूर जाएँ.
यहाँ कैसे पहुचें?
ये संग्रहालय Gorakhpur रेलवे और बस स्टेशन से लगभग 6 किमी. दक्षिण पूर्व में स्थित है। सर्किट हाउस से 1 किमी. दक्षिण पूर्व और तारामंडल से 1 किमी. पूर्व में स्थित है। आगंतुक विभिन्न गेस्ट हाउस, निजी लॉज और होटलों में ठहर सकते हैं।
10. गीता प्रेस
बात Gorakhpur की हो और गीता प्रेस की बात न आये ये तो वो बात हो जाएगी की रामायण चले और राम का जिक्र न हो, आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की गीता प्रेस से छपीं पुस्तकें न सिर्फ प्रदेश में बल्कि पुरे देश भर में पढ़ीं जाती हैं और विदेश तक भी इसकी छपी किताबों का बोलबाला है.

गीताप्रेस की स्थापना सन् 1923 ई० में हुई थी। इसके संस्थापक महान गीता-मर्मज्ञ श्री जयदयाल गोयन्दका जी थे। गीताप्रेस या गीता मुद्रणालय, विश्व की सर्वाधिक हिन्दू धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करने वाली संस्था है और यही वजह है की भारत सरकार ने शांति में योगदान हेतु गीताप्रेस को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की ।
अधिकारिक वेबसाइट देखें : गीता प्रेस
यहाँ कैसे पहुचें?
Gorakhpur रेलवे स्टेशन से इसकी दुरी लगभग 4 किलोमीटर है आप आराम से ऑटो या कैब बुक कर के जा सकते हैं और वहां की किताबों को देख और खरीद सकते हैं .
ये भी देखें: कुशीनगर के पंकज बनें यूपी-बिहार के लाखों परदेसियों की आवाज
Top 10 Amazing Places in Gorakhpur पे अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:
Top 10 Amazing Places in Gorakhpur कौन- कौन से हैं ?
1. गोरखनाथ मंदिर, 2. विष्णु मंदिर गोरखपूर, 3. गीता वटिका, 4. चौरीचौरा शहीद स्मारक, 5. आरोग्य मंदिर, 6. मियां साहब इमामबाड़ा, 7. रामगढ़ ताल, 8. नक्षत्रशाला, 9. पुरातात्विक बौद्ध संग्रहालय और 10. गीता प्रेस हैं.
गोरखपुर स्टेशन से नवका विहार की दुरी कितनी है ?
ये ताल Gorakhpur रेलवे स्टेशन से मात्र 7 किलोमीटर की दुरी पे स्थित है, आप यहाँ ऑटो या कैब बूक कर के आराम से जा सकते हैं और यहाँ का लुत्फ़ उठा सकते हैं.
गोरखपुर स्टेशन से तारामंडल की दुरी कितनी है ?
इसकी दुरी गोरखपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 4.2 किलोमीटर Gorakhpur यूनिवर्सिटी रोड पे है, आप यहाँ आराम से पहुच सकते हैं और अद्भुत अनुभव ले सकते हैं.
रामगढ़ ताल (नवका विहार) की लम्बाई कितनी है ?
गोरखपुर में स्थित रामगढ़ ताल लगभग 1800 एकड़ में फैला हुआ है और नवका विहार के नाम से मशहूर है. बताया जाता है कि यह प्राचीन समय छठी शताब्दी में नागवंशी कोलिय गणराज्य की राजधानी थी जिस वंश की गौतम बुद्ध की माता एवम् उनकी पत्नी थी।
विष्णु मंदिर गोरखपूर में क्या है ?
बताया जाता है कि मंदिर में स्थापित काले पत्थर की भगवान विष्णु की चतुभरुज प्रतिमा कोई सामान्य प्रतिमा नहीं है। इसका कालखंड पाल राजवंश (आठवीं सदी) का है।
आप गोरखपुर के दर्शनीय स्थल के बारे में अधिकारिक साईट चेक कर सकते हैं: गोरखपूर
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